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Thursday, June 29, 2023

BOOKS AUTHORED BY SAROJ BALA

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Tuesday, May 23, 2023

रामायण की कहानी, विज्ञान की ज़ुबानी - द्वितीय संस्करण

 पुस्तक रामायण की कहानी, विज्ञान की ज़ुबानी का विमोचन अक्टूबर 2018 में हुआ। पाठकों ने इसे खूब सराहा तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने पुस्तक की एक प्रति 30 नवम्बर 2019 को माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को भेंट की. PIB ने इस सुचना को चित्रों सहित छापा । लेखिका को भारत सरकार ने 2021 में विवेकानंद पुरस्कार से सम्मानित किया। फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स ने इसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ प्रकाशन घोषित किया।  कई नए दिलचस्प तथ्यों को शामिल कर विज़न इंडिया पब्लिकेशंस ने इसका द्वितीय संस्करण प्रकाशित किया है। 

पुस्तक के विषय में

         रामायण भारत का प्राचीनतम व सर्वाधिक सम्मानित महाकाव्य है। महर्षि वाल्मीकि ने इसमें चौबीस हज़ार संस्कृत श्लोकों में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जीवन गाथा का वास्तविक एवं रोचक वर्णन किया है।

इसी विशाल महाकाव्य को इस पुस्तक में संक्षिप्त एवं सरल भाषा में केवल ढाई सौ पृष्ठों में वर्णित किया गया है। अनेकों वैज्ञानिक प्रमाणों को सुन्दर चित्रों सहित जब इस कहानी में बुना गया तो सिद्ध हुआ कि रामायण काल्पनिक ग्रंथ नहीं अपितु इस में तो भारत का प्राचीन इतिहास समाहित है।

तारामंडल सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रामायण के खगोलीय सन्दर्भों के व्योमचित्र लिए गए; इस प्रकार महत्वपूर्ण घटनाओं की सटीक तिथियां निर्धारित की गयीं। पाठक 5114 वर्ष ई.पू. की चैत्र-शुक्ल नवमी को श्रीराम के जन्म के समय पांच ग्रहों को अपने अपने उच्च स्थान में आकाश में चमकते हुए अयोध्या से देख कर आनंदित हो सकते हैं।

इस पुस्तक में चित्रों तथा प्रमाणों सहित पुरातत्व विभाग द्वारा उत्खनित धनुष व बाण, अंगूठी और चूड़ामणि, चावल व तिल, केले और बरगद आदि के वे प्रमाण शामिल हैं, जिनके अनुसार ये लगभग सात हजार वर्ष पहले भारत में उपलब्ध थे। रामसेतु के बारे में कुछ विश्वसनीय और कुछ अद्भुत तथ्य भी जानें।

तथ्यों तथा प्रमाणों सहित यह भी समझाया गया है कि हजारों वर्षों बाद भी करोड़ों लोग श्रीराम को भगवान मानकर उनकी आराधना क्यों करते हैं। उन्होंने एक ऐसे आदर्श कल्याणकारी राज्य की स्थापना की थी जो आज तक अतुलनीय है।

श्रीराम एक आदर्श समाज सुधारक भी थे जिन्होंने जातिगत भेदभाव के विरुद्ध सख्त संदेश देते हुए ब्राह्मण कुल के पापी रावण का वध कर दिया तथा कोल जनजाति के गुह निषाद को अपना प्रिय मित्र बनाया।

Ramayan Retold with Scientific Evidence - Second Edition

Thanks to our readers who have purchased all the copies of the First Edition published by Prabhat Prakashan and Revised Edition by Garuda Prakashan. Now, Vision India Publications has published the Second Edition of this Book which contains many improvements as well as valuable editions to the contents of the Book.

About the Book 

Ramayan is the most celebrated Epic of ancient India. Composed by Maharishi Valmiki, it narrates the eternally inspirational life story of Shri Ram in 24000 Sanskrit verses.

This book has summarised this long poem in just 250 pages in a simple language. Scientific proofs have been woven in the story with beautiful images, moving Ramayan from the realm of mythology to the domain of history.

Precise dates of important events have been determined by generating sequential sky-views of astronomical positions recorded in Ramayan, using planetarium softwares.

The readers can enjoy watching how the sky looked bright with five planets in their exalted positions when Shri Ram was born in Ayodhya on Chaitra-Shukla Navami at noontime in 5114 BCE.

Do examine the details of some excavated samples and artefacts matching the descriptions in Ramayan, with their beautiful images. These include bow & arrow, ring & churamani, Banyan & Ashoka trees etc.; all having C14 dates of 6000-7000 BP. Know some credible and least known facts about Ramsetu.

The book explains why Shri Ram is worshipped as a god by millions of people till date. He set an example of an ideal welfare state and saved the noble from the atrocities of the ignoble. He gave a strong message against the evils of caste system by killing sinful Ravana, a Brahmin, and befriending Guha from the Kol tribe.

 

Friday, January 6, 2023

Ramayan Retold with Scientific Evidences


Ramayan Retold with Scientific Evidences (Author – Saroj Bala)

This Book is Biography of Lord Ram with exact dates of important events, depicting corresponding sky views of planetary references and weaving other supporting multi-disciplinary scientific evidences into the story told by Maharshi Valmiki.

Read how and why Shri Ram, who always protected the noble from the atrocities of the ignoble, got transformed into a god from a most dignified human being ever born on earth.

With 120 exquisite colored images of skyviews and of archaeological samples and pictures of antique miniatures the book also serves the purpose of a coffee table book.

After reading the book, Padma Vibhushan Sonal Mansingh said, “The details given in the book are so realistic that the reader gets transported to the Ramayan era and feels as if he is actually watching the events happening.

        
                                                                           (Revised Edition)



The book is an absolute must for every library and every university because it pioneers a new scientific approach to writing ancient history of the world.

It is an exquisite gift for your friends, colleagues, and relatives. It is an ideal memento for Guest Speakers and Eminent Visitors in Institutions, Universities, Ashrams,  and Corporate Houses.

Ramayan is popular all over the world. In the words of Shri Vinay Sahasrabuddhe, President
 of ICCR, “The book contains invaluable information for people of more than 30 countries of the world, in which Ramayan is so popular!

You are also invited to be a part of the life journey of Lord Ram and become a witness to all the important events in his life!

This Book was launched by Shri Suresh Prabhu, Hon’ble Minister of Commerce and Industry, on 5th February, 2019. Since all books of first edition were sold out, the revised edition was published by Garuda Prakashan. This Revised edition  is available on  https://rb.gy/tvulgy and https://rb.gy/nfbwaj Please do not forget to give your genuine comments and star ratings.

Watch the video - Saroj Bala welcomed Dr. Suresh Prabhu who launched the Book 'Ramayan Retold with Scientific Evidences' on 5th Feb 2019


    Below is the glimpse of the event-


 
                                            




Brochure giving overview of the contents of the book "Ramayan Retold with Scientific Evidence" and "रामायण की कहानी. विज्ञान की ज़ुबानी"





 

Thursday, November 17, 2022

महाभारत की कहानी, विज्ञान की जुबानी

इस पुस्तक का विमोचन माननीय उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉक्टर सुभाष सरकार जी के कर कमलों द्वारा 12 नवम्बर 2022 को JNU के कन्वेंशन सेंटर में हुआ। 



यह पुस्तक प्राचीन भारत के इतिहास के विषय में सैंकड़ों वर्षों से बनी गलत धारणाओं को दूर कर पाठकों को महाकाव्यों के युग को भारतवर्ष का वास्तविक व स्वर्णिम इतिहास मानने के लिए विवश कर देगी। इस पुस्तक में सटीक तिथियों के साथ महाभारत युद्ध की महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन है।

बावन वर्षों की अवधि में देखे गए अनुक्रमिक खगोलीय संदर्भों के आकाशीय दृश्यों के माध्यम से यह सिद्ध किया गया है कि महाभारत का युद्ध 3139 वर्ष ईसा पूर्व में लड़ा गया था। युद्ध से पहले कार्तिक पूर्णिमा को प्लैनेटेरियम सॉफ्टवेयर ने दिखाया चंद्रग्रहण तथा उसी कार्तिक मास की अमावस्या को दिखायी दिया सूर्यग्रहण। इस ग्रहण से केवल छः घंटे पहले सातों ग्रहों की स्थितियां सोलह नक्षत्रों के सम्बन्ध में बिल्कुल वैसी थीं जैसी महाभारत के भीष्मपर्व के अध्याय तीन (3/14-18) में वर्णित की गई हैं। 

देखें कैसे पुरातात्त्विक प्रमाण खगोलीय तिथियों का समर्थन करते हैं! इस पुस्तक की सबसे बड़ी उपलब्धि वो मानचित्र है, जिसमें महाभारत युद्ध में भाग लेने वाले सभी राज्यों की भौगोलिक स्थितियां, उन में स्थित लगभर 3000 वर्ष ईसा पूर्व की कार्बन तिथियों वाले पुरातात्त्विक स्थलों की जीपीएस प्लोटिंग के साथ दी गयी है! हड़प्पा स्थलों के रूप में वर्णित किये जाने वाले स्थान वास्तव में महाभारत काल के वैदिक स्थल थे।

19 फरवरी 3102 ईसा पूर्व की सुबह कलियुग के प्रारंभ को दर्शाता हुआ आकाश देख कर पाठक गर्व का अनुभव कर सकते हैं कि कैसे उनके हजारों वर्ष पुराने विश्वास आज विज्ञान के माध्यम से सत्य सिद्ध हो रहे हैं!


पुस्तक विमोचन के समय विशिष्ठ अतिथियों द्वारा पुस्तक के विभिन्न पहलुओं पर की गयी व्याख्या सुनें / देखें 





           भारत के उच्च राज्य शिक्षा मंत्री के अनुसार महाभारत की कहानी, विज्ञान की जुबानी कोई साधारण पुस्तक नहीं है। इसमें महाभारत में वर्णित घटनाओं का तिथि निर्धारण वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर किया गया है। महर्षि व्यास द्वारा रचित महाकाव्य से निकाले गए 52 वर्षों के अनुक्रमिक खगोलीय संदर्भों के प्लैनेटेरियम व स्टेलेरियम द्वारा दर्शाये व्योम-चित्रों को शामिल कर युद्ध की तिथियों का सटीक निर्धारण किया गया है। 


           इन खगोलीय तिथियों की संपुष्टी करने वाले पुरातात्विक साक्ष्य भी शामिल किए गए हैं। महाभारत में वर्णित तालाबों और गोदामों, रथों और घोड़ों, स्वस्तिकों और शिवलिंगों, अस्त्रों एवं शस्त्रों, रत्नों एवं आभूषणों, पेड़ों व फसलों, अनाज और जड़ी बूटियों आदि से मिलते-जुलते उत्खनित नमूनों और कलाकृतियों को कार्बन तिथिकरण के साथ शामिल किया गया है। इन तथ्यों ने सिद्ध किया है कि तथाकथित हड़प्पा स्थल वास्तव में महाभारत काल के उन राज्यों में स्थित थे, जिन्होंने मानवता के इतिहास में अब तक लड़े गए सबसे विनाशकारी युद्ध में भाग लिया था?

         इस पुस्तक की सबसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धि वो मानचित्र है जिसमें महाभारत युद्ध में लड़ने वाले राज्यों को उनमें स्थित पुरातात्विक स्थलों की जीपीएस प्लॉटिंग के साथ दिखाया गया है तथा यह सिद्ध किया गया है कि वास्तव में वो महाभारत काल के वैदिक स्थल थे।   

Monday, July 18, 2022

‘राम कथा सितारों से सुनिए’

14 अक्टूबर 2021 को "राम कथा सितारों से सुनिए" पुस्तक का विमोचन किया गया। इस पुस्तक में महर्षि वाल्मीकि द्वारा रामायण में वर्णित क्रमिक ग्रहों की स्थिति के आकाशीय दृश्यों को प्रदर्शित किया गया है। पुरातत्व, समुद्र विज्ञान और सुदूर संवेदन सहित विज्ञान के आठ विषयों के साक्ष्य इस खगोलीय तिथि क्रम का समर्थन करते हैं।

                     https://garudabooks.com/ram-katha-sitaron-se-suniye-


इस पुस्तक में वाल्मीकि रामायण में दी गयी महत्वपूर्ण घटनाओं के समय वर्णित आकाशीय दृश्यों का खगोलीय तिथि निर्धारण किया गया है। खगोलीय संदर्भों की सटीक तिथियाँ प्लैनिटेरीअम गोल्ड तथा स्टेलरीउम सॉफ्टवेयर का उपयोग कर की गई हैं । पुरातत्व व् पुरा-वनस्पति विज्ञान, भूगोल व्समुद्र विज्ञान, रिमोट सेंसिंग और आनुवंशिक अध्ययन भी इस खगोलीय काल निर्धारण की पुष्टि करते हैं।
श्रीराम की नर से नारायण बनने की यात्रा का सटीक व् विश्वसनीय वर्णन इस पुस्तक में अंतर्निहित है।यह पुस्तक, भारतीय राजस्व सेवा की पूर्व अधिकारी श्रीमती सरोज बाला व भारतीय राजस्व सेवा के अन्य सेवनिवृत अधिकारी, श्री दिनेश चंद्र अग्रवाल का संयुक्त प्रयास है। इस पुस्तक में ‘रामायण की कहानी, विज्ञान की जुबानी’ के संक्षिप्त व सरलीकृत तथ्य भी शामिल किए गए हैं ।

यहाँ पर यह बताना आवश्यक होगा कि पिछले 25920 वर्षों में किसी एक समय ही हूबहू वही व्योमचित्र दिखायी देता है जिनसे संबंधित ग्रहों नक्षत्रों का संदर्भ लिया गया हो और वही सटीक तिथि निर्धारण कर सकता है। अन्य वैज्ञानिक साक्ष्यों को जोड़ते समय आवश्यक है कि वही व्योमचित्र हर बार दर्शाया जाए और तत्पश्चात सह संबंध स्थापित किया जाए ।

‘राम कथा सितारों से सुनिए’ – लेखक सरोज बाला व दिनेश चंद्र अग्रवाल - पुस्तक विमोचन वीडियो



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सरोज बाला से जाने रामसेतु से संबंधित वैज्ञानिक साक्ष्य और कुछ बेहद दिलचस्प तथ्य, 2021
14 अक्तूबर 2021 को पुस्तक ‘राम कथा सितारों से सुनिए’ के विमोचनके समय श्रीमती सरोज बाला ने बताया कि खगोलीय तथा पुरातात्त्विक प्रमाण रामायण को 7000 वर्ष पुराना सिद्ध करते हैं। रामसेतु वर्तमान में समुद्र के जल स्तर के तीन मीटर नीचे जलमग्न है और एनआईओ, गोवाके द्वारा तैयार समुद्र जलस्तर वक्र के अनुसार, 7000 वर्ष पूर्व समुद्र का जल स्तर वर्तमान से तीन मीटर नीचे था; इस प्रकार 7000 वर्ष पूर्व इस पर चला जा सकता था।

सरोज बाला ने शिपिंग-मार्ग बनाने हेतु सेतु को तोड़ने के विफल हुए प्रयासों के वारे में कई दिलचस्प तथ्य बताए - ड्रेजिंग कारपोरेशन ऑफ़ इंडियाद्वारा हॉलैंड से मंगाया गया ड्रेजर सेतु तोड़ते समय दो हिस्सों में टूटकर जलमग्न हो गया।ड्रेजर को निकालने गया डीसीआई का क्रेन भी टूटकर समुद्र में डूब गया।निरिक्षण के लिए आये रूसी अभियन्ता (इंजीनियर) की टांग टूट गयी! आस्था वाले लोग इसे दैवीय प्रकोप मानते हैं जबकि वैज्ञानिक इस का वैज्ञानिक आधार बताते हैं। जो भी हो, रामसेतु के अंतिम अवशेषों को नष्ट करने के भारतीय सरकार के सभी प्रयास विफल रहे तथा कई हज़ार करोड़ का नुकसान भी हुआ।


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चतुर्युगों की सटीक व्याख्या सुनिए श्रीमती सरोज बाला से / अक्तूबर 2021 / Rigveda to Robotics

14 अक्तूबर 2021 को पुस्तक ‘राम कथा सितारों से सुनिए’ के विमोचनके समय श्रीमती सरोज बाला ने कहा कि चतुर्युग (सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग) में मूल रूप से केवल 12,000 मानव वर्ष ही होते थे।कुछ अल्पाधिक वर्षों सहित चतुर्युग के अवरोही तथा आरोही क्रम भी थे। परन्तु सुदूर प्राचीन काल में किसी समय एक मानव वर्ष को देवताओं के एक दिव्य दिवस के बराबर मानकर चतुर्युग को 12,000 दिव्य वर्षों का मान लिया गया। यही नहीं फिर उत्तरायण (सूर्य की 180 दिनों की उत्तर दिशा में चाल) को देवताओं का एक दिन और दक्षिणायण (सूर्य की 180 दिनों की दक्षिण दिशा में चाल) को देवताओं की एक रात मानकर यह व्याख्या कर दी गई कि ये 360 दिन देवताओं का एक दिन और एक रात होते हैं।
संभवत: यह व्याख्या ध्रुव देवता के एक दिन और एक रात के लिए की गई थी। फलस्वरूप 360 मानव वर्षों को देवताओं के एक वर्ष के बराबर मान लिया गया। तत्पश्चात् चतुर्युग को 12000 दिव्य वर्षों का मानकर, इन 12000 दिव्य वर्षों को 360 से गुणा करके चतुर्युग की समयावधि 43,20,000 मानव वर्ष निर्धारित कर दी गई।भला मनुष्यों के लिये ‘दिव्य वर्ष’ लागू करने का क्या औचित्य हो सकता था और फिर सूर्य की उत्तरायण और दक्षिणयाण चाल के 360 दिनों के साथ चतुर्युग के 12000 वर्षों को गुणा करने का भी क्या औचित्य हो सकता था?


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पुस्तक "महाभारत की कहानी, विज्ञान की ज़ुबानी" के विमोचन के अवसर पर पुस्तक "राम कथा सितारों से सुनिए" कुछ वी.आई.पी. को सम्मान स्वरूप भेंट की गयी