Tuesday, May 23, 2023

रामायण की कहानी, विज्ञान की ज़ुबानी - द्वितीय संस्करण

 पुस्तक रामायण की कहानी, विज्ञान की ज़ुबानी का विमोचन अक्टूबर 2018 में हुआ। पाठकों ने इसे खूब सराहा तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने पुस्तक की एक प्रति 30 नवम्बर 2019 को माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को भेंट की. PIB ने इस सुचना को चित्रों सहित छापा । लेखिका को भारत सरकार ने 2021 में विवेकानंद पुरस्कार से सम्मानित किया। फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स ने इसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ प्रकाशन घोषित किया।  कई नए दिलचस्प तथ्यों को शामिल कर विज़न इंडिया पब्लिकेशंस ने इसका द्वितीय संस्करण प्रकाशित किया है। 

पुस्तक के विषय में

         रामायण भारत का प्राचीनतम व सर्वाधिक सम्मानित महाकाव्य है। महर्षि वाल्मीकि ने इसमें चौबीस हज़ार संस्कृत श्लोकों में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जीवन गाथा का वास्तविक एवं रोचक वर्णन किया है।

इसी विशाल महाकाव्य को इस पुस्तक में संक्षिप्त एवं सरल भाषा में केवल ढाई सौ पृष्ठों में वर्णित किया गया है। अनेकों वैज्ञानिक प्रमाणों को सुन्दर चित्रों सहित जब इस कहानी में बुना गया तो सिद्ध हुआ कि रामायण काल्पनिक ग्रंथ नहीं अपितु इस में तो भारत का प्राचीन इतिहास समाहित है।

तारामंडल सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रामायण के खगोलीय सन्दर्भों के व्योमचित्र लिए गए; इस प्रकार महत्वपूर्ण घटनाओं की सटीक तिथियां निर्धारित की गयीं। पाठक 5114 वर्ष ई.पू. की चैत्र-शुक्ल नवमी को श्रीराम के जन्म के समय पांच ग्रहों को अपने अपने उच्च स्थान में आकाश में चमकते हुए अयोध्या से देख कर आनंदित हो सकते हैं।

इस पुस्तक में चित्रों तथा प्रमाणों सहित पुरातत्व विभाग द्वारा उत्खनित धनुष व बाण, अंगूठी और चूड़ामणि, चावल व तिल, केले और बरगद आदि के वे प्रमाण शामिल हैं, जिनके अनुसार ये लगभग सात हजार वर्ष पहले भारत में उपलब्ध थे। रामसेतु के बारे में कुछ विश्वसनीय और कुछ अद्भुत तथ्य भी जानें।

तथ्यों तथा प्रमाणों सहित यह भी समझाया गया है कि हजारों वर्षों बाद भी करोड़ों लोग श्रीराम को भगवान मानकर उनकी आराधना क्यों करते हैं। उन्होंने एक ऐसे आदर्श कल्याणकारी राज्य की स्थापना की थी जो आज तक अतुलनीय है।

श्रीराम एक आदर्श समाज सुधारक भी थे जिन्होंने जातिगत भेदभाव के विरुद्ध सख्त संदेश देते हुए ब्राह्मण कुल के पापी रावण का वध कर दिया तथा कोल जनजाति के गुह निषाद को अपना प्रिय मित्र बनाया।

No comments:

Post a Comment