This blog is the result of 21 years of primary research by Mrs. Saroj Bala on a hugely misrepresented topic 'Ancient Indian History', for which she devised a unique methodology of reading ancient Indian literature and verifying the results with modern sciences.
Top research organizations (like ISRO and ASI), scientists and Sanskrit scholars have contributed towards her work and the findings are expected to add new dimensions to the study of ancient history.
During the launch program, author Smt Saroj Bala gave brief
introduction of the contents of this book.
Shri Suresh Prabhu, Hon’ble Minister of Commerce, Industry, and
Civil Aviation, appreciated the research work done by the author to
establish the historicity of Ramayan using pure scientific evidences from astronomy,
archaeology, oceanography, palaeobotany, genetic studies, remote sensing etc.
While relaxing , you are invited to watch/hear Mrs Saroj Bala
and Dr Suresh Prabhu on Ramayan and its scientific evidences.
अनूठे वैज्ञानिक
अनुसंधान पर आधारित दिलचस्प किताब 'रामायण की कहानी, विज्ञान की जुबानी' का विमोचन 15 अक्टूबर, 2018 को माननीय श्री कृष्ण गोपाल जी
व श्री महेश शर्मा जी के कर कमलों से हुआ।
इस पुस्तक मेंदिन, तिथि, स्थान के साथ क्रम में दी हुई
श्री राम के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं को अत्यंत दिलचस्प तथा विश्वसनीय ढंग से
प्रस्तुत किया गया है।
तभी तो सुप्रसिद्ध
नर्तकी पद्म विभूषण सोनल मानसिंह ने कहा कि इस पुस्तक को पढ़ते हुए ऐसा लगता है कि
हम रामायण काल में घटित घटना क्रम का हिस्सा बन गए हैं और उन्हें घटते हुए देख रहे
हैं।
आप भी इस पुस्तक को पढ़ें और श्री राम के
जीवन चरित्र का हिस्सा बन जाएँ।यह
पुस्तक अमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट व प्रभात प्रकाशन से
उपलब्ध है।Links for
purchase are –
श्रीराम की जीवनगाथा - तिथि,
स्थान तथा सन्दर्भों के साथ
इस पुस्तक में महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित श्रीराम की मूल जीवन गाथा
में दिए गए घटनाक्रम का
वर्णन करते हुए, उनके बहुआयामी वैज्ञानिक तिथिकरण
के प्रमाणों को इस प्रकार बुन दिया है कि वो चरितावली में अंतर्निहित हो गए।
प्लैनेटेरियम तथा
स्टेलेरियम सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रामायण के खगोलीय सन्दर्भों के व्योमचित्र लिए
गए। पाठक यह देखकर आनंदित हो सकते हैं कि जब श्रीराम का जन्म हुआ तो पांच ग्रहों
को अपने उच्च स्थान में दर्शाते हुए आकाश किस प्रकार सुंदर दिखाई दे रहा था और जब
अशोक वाटिका में रावण सीता को धमका रहा था तो ग्रहण से ग्रसित चंद्रमा लंका के
आकाश में उदित हुआ।
पुरातत्व तथा पुरा-वनस्पति
विज्ञान, भूगोल तथा समुद्र विज्ञान, रिमोट सेंसिंग और आनुवंशिक अध्ययन भी रामायण
के इस खगोलीय काल निर्धारण की पुष्टि करते हैं। 7000 वर्ष पुराने ताम्बे के वाणाग्र, सोने चाँदी के आभूषण, पत्थरों व मोतियों के गहने,
टैराकोटा के बर्तन तथा विभिन्न प्रकार के पेड़, पौधोंव फसलों के चित्र भी इसपुस्तक मेंशामिल हैं।
क्या श्रीराम का जन्म
अयोध्या में हीहुआ
था और क्या उन्होंने सज्जन पुरुषों की अत्याचारों से रक्षा हेतु लंका तक की सचमुच
ही यात्रा की थी? क्या उन्होंने एक आदर्श पुत्र, एक आदर्श भाई,
एक आदर्श समाज सुधारक, तथा आदर्श शासक के रूप में अतुलनीय उदाहरण पेश किये? इन प्रश्नों के विश्वसनीय उत्तर इस पुस्तक में अवश्य मिलेंगे।
पुस्तक के लोकार्पण के समय लेखिका द्वारा दिए पुस्तक के परिचय को सुनें। माननीय श्री कृष्ण गोपाल जी द्वारा पुस्तक पर की गई अनमोल टिप्पणी को आत्मसात करें तथा डॉक्टर महेश शर्मा द्वारा कहे गए बहुमूल्य शब्दों की कुछ वीडियो क्लिपिंग भी देखें –
Introduction to the book by Saroj bala-
Link for speech of Dr Krishna Gopal-
Link for speech of Dr Mahesh Sharma-
पुस्तक के लोकार्पण के समय ली गयी कुछ तस्वीरें- श्रीमती निष्ठा गोयल द्वारा मुख्य अतिथियों का स्वागत