इस पुस्तक का विमोचन माननीय उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉक्टर सुभाष सरकार जी के कर कमलों द्वारा 12 नवम्बर 2022 को JNU के कन्वेंशन सेंटर में हुआ।
यह पुस्तक प्राचीन भारत के इतिहास के विषय में सैंकड़ों वर्षों से बनी गलत धारणाओं को दूर कर पाठकों को महाकाव्यों के युग को भारतवर्ष का वास्तविक व स्वर्णिम इतिहास मानने के लिए विवश कर देगी। इस पुस्तक में सटीक तिथियों के साथ महाभारत युद्ध की महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन है।
बावन वर्षों की अवधि में देखे गए
अनुक्रमिक खगोलीय संदर्भों के आकाशीय दृश्यों के माध्यम से यह सिद्ध किया गया है कि महाभारत का युद्ध 3139 वर्ष
ईसा पूर्व में लड़ा गया था। युद्ध से पहले कार्तिक पूर्णिमा को प्लैनेटेरियम
सॉफ्टवेयर ने दिखाया चंद्रग्रहण तथा उसी कार्तिक मास की अमावस्या को दिखायी
दिया सूर्यग्रहण। इस ग्रहण से केवल छः घंटे पहले सातों ग्रहों की स्थितियां सोलह नक्षत्रों के सम्बन्ध में बिल्कुल वैसी थीं जैसी महाभारत के भीष्मपर्व के अध्याय तीन (3/14-18)
में वर्णित की गई हैं।
देखें कैसे पुरातात्त्विक प्रमाण खगोलीय
तिथियों का समर्थन करते हैं! इस पुस्तक की सबसे बड़ी उपलब्धि वो मानचित्र है, जिसमें
महाभारत युद्ध में भाग लेने वाले सभी राज्यों की भौगोलिक स्थितियां, उन में स्थित लगभर 3000 वर्ष
ईसा पूर्व की कार्बन तिथियों वाले पुरातात्त्विक स्थलों की जीपीएस प्लोटिंग के साथ
दी गयी है! हड़प्पा स्थलों के रूप में वर्णित
किये जाने वाले स्थान वास्तव में महाभारत काल के वैदिक स्थल थे।
19 फरवरी 3102 ईसा
पूर्व की सुबह कलियुग के प्रारंभ को दर्शाता हुआ आकाश देख कर पाठक गर्व का अनुभव
कर सकते हैं कि कैसे उनके हजारों वर्ष पुराने विश्वास आज विज्ञान के माध्यम से
सत्य सिद्ध हो रहे हैं!
पुस्तक विमोचन के समय विशिष्ठ अतिथियों द्वारा पुस्तक के विभिन्न पहलुओं पर की गयी व्याख्या सुनें / देखें
Saroj Bala presenting tokens of gratitude & reading citation after Book Launch in JNU; 12 Nov 2022
After the launch of "महाभारत की कहानी, विज्ञान की जुबानी", the author made an emotional appeal to
distinguished guests, invitees, faculty and students of JNU as under - After
writing books on Ramayan & Mahabharat by including reasonably convincing
scientific evidence, which proves their historicity & antiquity, I feel
that I have fulfilled the role assigned to me by the great man of the century,
Dr. A.P.J. Abdul Kalam in accomplishing the noble mission of creating shared
pride in India’s rich ancient heritage. Now leaving the responsibility of
spreading awareness about these facts on you, your associates and posterity, I
wish to rest at the feet of God Almighty. I have this faith that one day, we
Indians will develop a shared pride in that great Vedic Culture, which has been
developing indigenously for last 9000 years in India. May Shri Ram and Shri
Krishna provide you with opportunity as well as capability to play a
significant role in making India a world leader in the field of knowledge! May
our ancient wisdom, combined with modern science, lead humanity towards peace
and prosperity!
रामायण और महाभारत महाकाव्यों में
विश्वसनीय वैज्ञानिक प्रमाणों को शामिल कर, उनकी ऐतिहासिकता और प्राचीनता को यथोचित
ढंग से सिद्ध करते हुए, अंग्रेजी तथा हिंदी में पुस्तकें लिखने के बाद, मुझे लगता है कि इस
युग के महामानव डॉ अब्दुल कलाम द्वारा दिये मिशन को पूर्ण करने में अपनी भूमिका का
निर्वहन मैंने कर दिया है। अब आप तथा आपके सहयोगियों और भावी पीढ़ियों पर इन तथ्यों
के बारे में विश्व में जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी छोड़कर, मैं परमपिता
परमात्मा की चरणधूली में समा जाना चाहती हूँ। डॉ कलाम की तरह मुझे भी विशवास है कि ईश्वर
पिछले 9000 वर्षों से
स्वदेश में लगातार विकसित हो रही वैदिक सभ्यता में सभी भारतीयों में एक सांझा गौरव
का संचार अवश्य करेंगे। श्री राम और श्री कृष्ण आपको अवसर तथा क्षमता प्रदान करें
ताकि आप भारत को विश्वगुरु बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकें और हमारा
प्राचीन ज्ञान आधुनिक विज्ञान के साथ मिलकर मानवता को शांति, समृद्धि और
सम्पन्नता की ओर अग्रसर कर सके !
सुनें डॉ सुभाष सरकार को "महाभारत की कहानी, विज्ञान की ज़ुबानी" पुस्तक की सराहना करते हुए।
भारत के उच्च राज्य शिक्षा मंत्री के अनुसार महाभारत की कहानी, विज्ञान की जुबानी कोई साधारण पुस्तक नहीं है। इसमें महाभारत में वर्णित घटनाओं का तिथि निर्धारण वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर किया गया है। महर्षि व्यास द्वारा रचित महाकाव्य से निकाले गए 52 वर्षों के अनुक्रमिक खगोलीय संदर्भों के प्लैनेटेरियम व स्टेलेरियम द्वारा दर्शाये व्योम-चित्रों को शामिल कर युद्ध की तिथियों का सटीक निर्धारण किया गया है।
इन खगोलीय तिथियों की संपुष्टी करने वाले पुरातात्विक साक्ष्य भी शामिल किए गए हैं। महाभारत में वर्णित तालाबों और गोदामों, रथों और घोड़ों, स्वस्तिकों और शिवलिंगों, अस्त्रों एवं शस्त्रों, रत्नों एवं आभूषणों, पेड़ों व फसलों, अनाज और जड़ी बूटियों आदि से मिलते-जुलते उत्खनित नमूनों और कलाकृतियों को कार्बन तिथिकरण के साथ शामिल किया गया है। इन तथ्यों ने सिद्ध किया है कि तथाकथित हड़प्पा स्थल वास्तव में महाभारत काल के उन राज्यों में स्थित थे, जिन्होंने मानवता के इतिहास में अब तक लड़े गए सबसे विनाशकारी युद्ध में भाग लिया था?
इस पुस्तक की सबसे महत्त्वपूर्ण
उपलब्धि वो मानचित्र है जिसमें महाभारत युद्ध में लड़ने
वाले राज्यों को उनमें स्थित पुरातात्विक स्थलों
की जीपीएस प्लॉटिंग के साथ दिखाया गया है तथा यह सिद्ध किया गया है कि वास्तव में
वो महाभारत काल के वैदिक स्थल थे।
श्री संक्रांत सानु जी ने पुस्तक में शामिल वैज्ञानिक प्रमाणों को समझाया 12 November 2022 JNU
संक्रांत सानु जी ने बताया की महाभारत में दिए गए तथ्य
विज्ञान पर आधारित हैं तथा महाभारत में दी गयी ग्रहों नक्षत्रों की सटीक तिथियाँ
निर्धारित की गयी हैं । इसी आधार पर महाभारत में वर्णित महत्वपूर्ण घटनाओं का तिथि
निर्धारण किया गया है ।
पिछले 25920 वर्षों में किसी और वर्ष-समूह में महाभारत के खगोलीय संदर्भों के साथ हू-ब-हू मिलते ऐसे अनुक्रमिक व्योमचित्र आकाश में देखें नहीं जा सकते l इन खगोलीय तिथियों की संपुष्टी करने वाले अनेकों पुरातात्विक साक्ष्य भी इस पुस्तक में शामिल किये गये हैं l निष्कर्ष ये निकला कि तथा-कथित हड़प्पा स्थल महाभारत काल के उन राज्यों में स्थित थे, जिन्होंने मानवता के इतिहास में अब तक लड़े गए सबसे विनाशकारी युद्ध में भाग लिया था। इसलिए स्पष्ट तौर पर ये महाभारत काल के वैदिक स्थल थे l
आर्यों के 3500 वर्ष पहले भारत में आगमन का कोई वैज्ञानिक
प्रमाण नहीं मिल सका! परन्तु इस तथ्य के
अनेकों वैज्ञानिक प्रमाण मिलते हैं कि आर्य लोग तो 9000 वर्षों से भारत में स्वदेशी सभ्यता का
विकास करते आ रहे हैं। इस पुस्तक में शामिल मानचित्र अत्यंत महतवपूर्ण है क्यूंकि
इसमें महाभारत युद्ध में भाग लेने वाले राज्यों को उनमे स्थित पुरातात्विक स्थलों
की GPS प्लोटिंग के साथ दिखाया गया है l इस मानचित्र को देखने के उपरांत भारत के प्राचीन
इतिहास की पुरातनता और समृद्धि के बारे में पाठकों की धारणा शायद स्वतः ही बदल
जाएगी।
Shri Tankeshwar Kumar while appreciating the book Mahabharata ki Kahani Vigyan Ki Zubaani said that this book is very important not only for the students of Sanskrit, but also for students of history, archaeology and other sciences.
He elaborated that by relating
the scientific evidence from different disciplines with extracts from
Mahabharat Sanskrit texts, it has been proved almost beyond doubt that
Mahabharat, like Ramayan, is our ancient history. The universities should
introduce this subject in different departments by running courses as well as
for assigning topics for doctorate.
He concluded by saying that
the books of this type must keep coming as these make us aware of our ancient
history.
एक महान इंसान एवं मेधावी अधिकारी, श्रीमती सुधा शर्मा को समर्पित है यह पुस्तक
श्रीमती सुधा शर्मा के पास दूसरों का भला करने की असीमित क्षमता है और तीव्र इच्छा भी है। निस्वार्थ सेवा का भाव उनमें कूट-कूट कर भरा है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने होम्योपैथी दवा, प्रवचन, और सकारात्मक सोच के माध्यम से मानवता के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया।