Thursday, November 17, 2022

महाभारत की कहानी, विज्ञान की जुबानी

इस पुस्तक का विमोचन माननीय उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉक्टर सुभाष सरकार जी के कर कमलों द्वारा 12 नवम्बर 2022 को JNU के कन्वेंशन सेंटर में हुआ। 



यह पुस्तक प्राचीन भारत के इतिहास के विषय में सैंकड़ों वर्षों से बनी गलत धारणाओं को दूर कर पाठकों को महाकाव्यों के युग को भारतवर्ष का वास्तविक व स्वर्णिम इतिहास मानने के लिए विवश कर देगी। इस पुस्तक में सटीक तिथियों के साथ महाभारत युद्ध की महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन है।

बावन वर्षों की अवधि में देखे गए अनुक्रमिक खगोलीय संदर्भों के आकाशीय दृश्यों के माध्यम से यह सिद्ध किया गया है कि महाभारत का युद्ध 3139 वर्ष ईसा पूर्व में लड़ा गया था। युद्ध से पहले कार्तिक पूर्णिमा को प्लैनेटेरियम सॉफ्टवेयर ने दिखाया चंद्रग्रहण तथा उसी कार्तिक मास की अमावस्या को दिखायी दिया सूर्यग्रहण। इस ग्रहण से केवल छः घंटे पहले सातों ग्रहों की स्थितियां सोलह नक्षत्रों के सम्बन्ध में बिल्कुल वैसी थीं जैसी महाभारत के भीष्मपर्व के अध्याय तीन (3/14-18) में वर्णित की गई हैं। 

देखें कैसे पुरातात्त्विक प्रमाण खगोलीय तिथियों का समर्थन करते हैं! इस पुस्तक की सबसे बड़ी उपलब्धि वो मानचित्र है, जिसमें महाभारत युद्ध में भाग लेने वाले सभी राज्यों की भौगोलिक स्थितियां, उन में स्थित लगभर 3000 वर्ष ईसा पूर्व की कार्बन तिथियों वाले पुरातात्त्विक स्थलों की जीपीएस प्लोटिंग के साथ दी गयी है! हड़प्पा स्थलों के रूप में वर्णित किये जाने वाले स्थान वास्तव में महाभारत काल के वैदिक स्थल थे।

19 फरवरी 3102 ईसा पूर्व की सुबह कलियुग के प्रारंभ को दर्शाता हुआ आकाश देख कर पाठक गर्व का अनुभव कर सकते हैं कि कैसे उनके हजारों वर्ष पुराने विश्वास आज विज्ञान के माध्यम से सत्य सिद्ध हो रहे हैं!


पुस्तक विमोचन के समय विशिष्ठ अतिथियों द्वारा पुस्तक के विभिन्न पहलुओं पर की गयी व्याख्या सुनें / देखें 





           भारत के उच्च राज्य शिक्षा मंत्री के अनुसार महाभारत की कहानी, विज्ञान की जुबानी कोई साधारण पुस्तक नहीं है। इसमें महाभारत में वर्णित घटनाओं का तिथि निर्धारण वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर किया गया है। महर्षि व्यास द्वारा रचित महाकाव्य से निकाले गए 52 वर्षों के अनुक्रमिक खगोलीय संदर्भों के प्लैनेटेरियम व स्टेलेरियम द्वारा दर्शाये व्योम-चित्रों को शामिल कर युद्ध की तिथियों का सटीक निर्धारण किया गया है। 


           इन खगोलीय तिथियों की संपुष्टी करने वाले पुरातात्विक साक्ष्य भी शामिल किए गए हैं। महाभारत में वर्णित तालाबों और गोदामों, रथों और घोड़ों, स्वस्तिकों और शिवलिंगों, अस्त्रों एवं शस्त्रों, रत्नों एवं आभूषणों, पेड़ों व फसलों, अनाज और जड़ी बूटियों आदि से मिलते-जुलते उत्खनित नमूनों और कलाकृतियों को कार्बन तिथिकरण के साथ शामिल किया गया है। इन तथ्यों ने सिद्ध किया है कि तथाकथित हड़प्पा स्थल वास्तव में महाभारत काल के उन राज्यों में स्थित थे, जिन्होंने मानवता के इतिहास में अब तक लड़े गए सबसे विनाशकारी युद्ध में भाग लिया था?

         इस पुस्तक की सबसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धि वो मानचित्र है जिसमें महाभारत युद्ध में लड़ने वाले राज्यों को उनमें स्थित पुरातात्विक स्थलों की जीपीएस प्लॉटिंग के साथ दिखाया गया है तथा यह सिद्ध किया गया है कि वास्तव में वो महाभारत काल के वैदिक स्थल थे।